Monday, December 5, 2011

मेरी शायरी

फासले पे रखो अपना विश्वास क्योकि किसी से टकराने पर हादसों से जिंदगी घिर जाती है .
कहते है दूरी होने पर ही किसी इंसान कि असलियत समझ में आती है .......
मेरे जेहन में तो हमेशा ही उनका ख्याल आया .....
छोड गए वो हमको तनहा बस यही एक अकाल आया .......
अब तो रूह में बस चुकी है तन्हाई इस कदर .....
जैसे बरसों से रूह को तलाश थी इसकी दर-बदर ....
तन्हाई का दौर कुछ ऐसा चला है आजकल .....
कि यादें भी कर जाती है हमे तनहा आजकल .......
बात ये सच है कि सब के हिस्से में सब कुछ नहीं आता ....
खुशनसीब हूँ मैं मेरे हिस्से में तेरी यादों का कारवां आया .....
मुझको तडपता देखकर खुश तो बहुत होती है वो ......
कोई गैर नहीं है वो मेरी अपनी ही तन्हाई है वो .........
जब भी रात नज़दीक आती है मेरे दिलबर कि याद भी साथ लाती है ......
तन्हाई कि चादर उड़ा के मुझको नींद के आगोश में ले जाती है .......
जब भी रात नज़दीक आती है मेरे दिलबर कि याद भी साथ लाती है ......
तनहाइयों कि चादर उड़ा के मुझको नींद के आगोश में ले जाती है .......
जब भी रात नज़दीक आती है मेरे दिलबर कि याद भी साथ लाती है ......
तनहाइयों कि चादर उड़ा के मुझको नींद के आगोश में कर जाती है .......
हमे बस एक ख्याल है उनका जेहन में बस एक सवाल है उनका ...
कटती नहीं रातें अब करवटें बदलते बस एक इन्तेज़ार है उनका.......
घर से मंदिर है बहुत दूर........
चलो ऐसा करे किसी रोते हुए को हँसाया जाए........
अश्क बह कर भी कम नहीं होते दोस्त,
यह आँखे कितनी अमीर होती है....
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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