मेरा मानना है की ज्ञान का दीपक हम सभी के अन्दर है बस जरूरत है उसमे निरंतर तेल डालने की और अग्नि प्रज्वलित करने की जब हम रोजाना अच्छी सोच रखेगे और अच्छे विचार को अभ्यास करते रहेगे तो हमारा मनुष्य जीवन सफल हो जायेगा .प्रभु हम सभी के अंदर हैं बस अपने अन्दर के भगवान् को जानने की कोशिश करिए और उसको खोज्जने का प्रयास करिए
हमे समाज मैं रहते हुए अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए ही अपने अन्दर के प्रभु को पाना पड़ेगा .जब हमारे अन्दर का अहम् नष्ट होने लगे हमारे अन्दर प्रेम की मात्रा बड़ने लगे ,मन शांत रहने लगे ,किसी के प्रति ईर्ष्या,द्वेष भाव न हो तब आप समझ लीजिये आपके अन्दर के भगवान् जाग्रत हो चुके हैं .प्रभु से मिलन तो जीते जी हो सकता है बस धैर्य और समय की जरूरत होती है .............
हमे समाज मैं रहते हुए अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए ही अपने अन्दर के प्रभु को पाना पड़ेगा .जब हमारे अन्दर का अहम् नष्ट होने लगे हमारे अन्दर प्रेम की मात्रा बड़ने लगे ,मन शांत रहने लगे ,किसी के प्रति ईर्ष्या,द्वेष भाव न हो तब आप समझ लीजिये आपके अन्दर के भगवान् जाग्रत हो चुके हैं .प्रभु से मिलन तो जीते जी हो सकता है बस धैर्य और समय की जरूरत होती है .............
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