Wednesday, April 6, 2011

कविता

क्यूंकि दुखी हूँ मैं,
और उदास है मन मेरा
चलो मुस्कुराते हैं ...
और हँसते हँसते भूल जाते हैं दर्द को
चलो मुस्कुराते हैं ...
क्यूंकि थका हूँ मैं
और घायल है रूह मेरी
चलो कुछ करते हैं
कुछ काम से मिटाते हैं थकन को
चलो कुछ करते हैं
क्यूंकि नाराज़ हूँ सबसे
चाहता नहीं है कोई मुझे
चलो प्यार करते हैं
इतना प्यार कि भूल जाऊं नफरत
चलो प्यार करते हैं
क्यूंकि मिलता है धोखा
और टूटते हैं सपने मेरे
चलो दीप जलाते हैं
आशा की अग्निशिखा आँखों में
चलो दीप जलाते हैं

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