मंदिरों की घंटियां या
मस्जिदे सुबहो अजान
है इबादत एक ही
हिन्दू करें या मुसलमान।
फर्क क्या पड़ता है ऐ, रब
मैं करूं या वो करें
मैं पूजूं पूनम का चंदा
वो निहारे दूज के चांद।
है कहां मतभेद जब
सूरज और चंदा एक है
है कहां तकरार जब
आबो हवा सब एक है।
क्यों घिरे खौफ ये बादल
जब इरादा नेक है
आब गंगा से जुड़ा है
और जुड़ा काबे से पानी।
है नहीं खैरात की यह जिन्दगानी
संास चलती है खुदा की मेहरबानी।
सिंध हो या हिन्द हो या पाके सरजमीं
सब खुदा के एक बन्दे हिन्दुस्तान-पाकिस्तानी
राम और रहमान में ना फर्क है
धर्म और ईमान में क्या तर्क है।।
मस्जिदे सुबहो अजान
है इबादत एक ही
हिन्दू करें या मुसलमान।
फर्क क्या पड़ता है ऐ, रब
मैं करूं या वो करें
मैं पूजूं पूनम का चंदा
वो निहारे दूज के चांद।
है कहां मतभेद जब
सूरज और चंदा एक है
है कहां तकरार जब
आबो हवा सब एक है।
क्यों घिरे खौफ ये बादल
जब इरादा नेक है
आब गंगा से जुड़ा है
और जुड़ा काबे से पानी।
है नहीं खैरात की यह जिन्दगानी
संास चलती है खुदा की मेहरबानी।
सिंध हो या हिन्द हो या पाके सरजमीं
सब खुदा के एक बन्दे हिन्दुस्तान-पाकिस्तानी
राम और रहमान में ना फर्क है
धर्म और ईमान में क्या तर्क है।।
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