कई बार मुझे लगता है कि नौकरी मिलने के बाद जिंदगी का एक चैप्टर बंद तो होता है, लेकिन दूसरा शुरू भी हो जाता है। एक व्यक्ति को कई नई चुनौतियों से दो-चार होना पड़ता है। इसी में से एक है- शादी। शादी करने से पहले लड़का-लड़की की हालत एग्जाम देने जा रहे किसी स्टूडेंट की तरह रहती है। चाहे कितनी भी तैयारी हो उसे यह नहीं लगता कि पेपर अच्छे से कर पाएगा या खूब नंबर ला पाएगा। हमारे यहां शादियों में अगुआ (ऐसा व्यक्ति जो वर और वधू दोनों पक्षों को जानता है और शादी का प्रस्ताव लेकर सबसे पहले वही आता है) की अहम भूमिका रहती है।
समय के साथ-साथ शादियों में नए-नए अगुओं का चलन आ गया है। संचार क्रांति के युग में मैट्रिमनी साइट को किसी भी मायने में कमजोर अगुआ नहीं माना जा सकता। ऐसे ही एक दिन नेट सर्फिंग करते-करते मैं मैट्रिमनी साइट पर जा पहुंचा। इससे पहले तक मैं शादियों में सिर्फ लड़कों की पसंद के बारे में ही जानता था। लेकिन इस साइट पर मुझे लड़कियां कहीं से भी लड़कों से उन्नीस नहीं दिखीं। लड़कों की उम्र, कद-काठी से लेकर इनकम वगैरह की एक लंबी-चौड़ी लिस्ट थी। एक दो उदारवादी प्रोफाइल को छोड़ अधिकतर को मोटी तनख्वाह कमाने वाले पति की तलाश थी। पढ़ाई कर रही लड़की और उनके पैरंट्स ही प्रोफाइल से थोड़े उदार दिखे। जॉब कर रही लड़कियों को अपने से 3-4 गुनी अधिक सैलरी पाने वाला लड़का चाहिए था। हालांकि, लड़कों के पेशे के बारे में दोनों ही वर्गों के विचार एक जैसे थे।
लड़कियों और उनके परिवार वालों के पसंदीदा पेशे थे -आईएफएस/आईएएस/आईपीएस, डॉक्टर, इंजीनियर, लेक्चरर, सीए, सीएस, एमबीए/बीबीए, बैंक पीओ/क्लर्क और सॉफ्टवेयर इंजीनियर।
समय के साथ-साथ शादियों में नए-नए अगुओं का चलन आ गया है। संचार क्रांति के युग में मैट्रिमनी साइट को किसी भी मायने में कमजोर अगुआ नहीं माना जा सकता। ऐसे ही एक दिन नेट सर्फिंग करते-करते मैं मैट्रिमनी साइट पर जा पहुंचा। इससे पहले तक मैं शादियों में सिर्फ लड़कों की पसंद के बारे में ही जानता था। लेकिन इस साइट पर मुझे लड़कियां कहीं से भी लड़कों से उन्नीस नहीं दिखीं। लड़कों की उम्र, कद-काठी से लेकर इनकम वगैरह की एक लंबी-चौड़ी लिस्ट थी। एक दो उदारवादी प्रोफाइल को छोड़ अधिकतर को मोटी तनख्वाह कमाने वाले पति की तलाश थी। पढ़ाई कर रही लड़की और उनके पैरंट्स ही प्रोफाइल से थोड़े उदार दिखे। जॉब कर रही लड़कियों को अपने से 3-4 गुनी अधिक सैलरी पाने वाला लड़का चाहिए था। हालांकि, लड़कों के पेशे के बारे में दोनों ही वर्गों के विचार एक जैसे थे।
लड़कियों और उनके परिवार वालों के पसंदीदा पेशे थे -आईएफएस/आईएएस/आईपीएस, डॉक्टर, इंजीनियर, लेक्चरर, सीए, सीएस, एमबीए/बीबीए, बैंक पीओ/क्लर्क और सॉफ्टवेयर इंजीनियर।
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